Vidarbh tiger news|poem
*छत्रपती शासन*
*लोकतंत्र के युग में भी*
*देखें सुरत प्रशासन कि*
*आओ थोडी बात करे*
*छत्रपती के शासन कि*
*फैला रहे दहशत को तुमने*
*बिमारी का नाम दिया*
*बच्चो बुढो और मजदूरो से*
*ऐसा क्यो बरताव किया*
*चिख-चिख कर नन्हीं बच्ची*
*भूक के मारे मर गयी*
*तुम्हारी राजनीती के सामने*
*भूक बच्ची कि हार गयी*
*झुटे वादों से पेट नही भरता*
*बात करो तुम राशन कि*
*मै कहता हू जरुरत है*
*देश को छत्रपती शासन कि*
*बढती रहेगी बिमारी हर दिन*
*मरते रहेंगे लोग बेशक*
*कुछ तो रहेंगे घर में अपने*
*कुछ तो मांगेगे अपना हक*
*हक मांग रहे सभी को तुम*
*चूप कैसे कराओंगे*
*15 लाख कि छोडो बात*
*तुम शिक्षा कब दिलाओंगे*
*पक चुके है कान सबके*
*सूनके आवाज भाषण कि*
*मै कहता हू जरुरत है*
*देश को छत्रपती शासन कि*
*शिक्षा को भी तुमने अब*
*पैसो से हीं तोल दिया*
*हाथ में देखे मोबाईल उनके*
*देश का भविष्य खो दिया*
*बना अगर डॉक्टर कही तो*
*इलाज कैसे वह कर पायेंगा*
*बनके साधू या सन्याशी*
*क्या गंगाजल छिडका जायेंगा*
*बंद करो व्यापार शिक्षा का*
*आसं छोडो तुम आसन कि*
*मै कहता हू जरुरत है*
*देश को छत्रपती शासन कि*
*युवा कवी :-*
*निखिल कैलासराव खडसे*
*तळेगाव (शां. पंत)*
*8459167410*
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